शनिवार, 18 नवंबर 2017

बोकड़िया गच्छ का अस्तित्व

प्राचीन इतिहास साहित्य के अध्ययन के दौरान हमें एक गौरवशाली तथ्य मिला। बोकड़िया समुदाय के लिए, कभी स्वतंत्र "बोकड़ियागच्छ" विद्यमान था। ऐसा अमूमन किसी गोत्र का गच्छ नहीं देखा गया। शिलालेख एवं प्रतिमा लेख के ग्रंथों का अध्ययन इस आशय से हो रहा था कि शिलालेखों के साक्ष्य से बोकड़िया गोत्र का इतिहास, गोत्र के विशिष्ट पुरुषों के बारे में जानकारी हासिल हो। उसी उपक्रम में बोकड़िया गच्छ का अस्तित्व सामने आया। उल्लेख देखने से हमें साधुओं के नाम, उनका काल एवं उत्तरोत्तर गच्छ के नाम परिवर्तन की भी जानकारी प्राप्त होती है। उक्त शिलालेखों को क्रमबद्ध करने से यह साक्ष्य भी मिलता है कि 'बोकड़िया गच्छ', प्राचीन वड़गच्छ (वृहदगच्छ) की शाखा था। सम्भवतः यह चंद्रकुल से वनवासीगच्छ एवं उसके पश्चात वड़गच्छ नाम से विख्यात हुआ वड़गच्छ से रामसैन्य गच्छ एवं रामसैन्यगच्छ से बोकड़िया गच्छ शाखा निकली। वड़गच्छ ही तपागच्छ आदि का पूर्व गच्छ था।
शिलालेख :
सं 1458 श्री धनदेवसूरि पट्टे धर्मदेवसूरि 'रामसेनिया गच्छे'
सं 1496 श्री भट्टा. धर्मतिलकसूरि 'बोकड़िया गच्छे'
सं 1503 श्री भट्टा. धर्मचंद्रसूरि 'रामसेनिया गच्छे'
सं 1511 श्री भट्टा. मलयचंद्रसूरि 'रामसेनिया गच्छे'
सं 1519 श्री धर्मचन्द्रसूरि पट्टे मलयचंद्रसूरि 'वृहदगच्छे बोकड़िया वंटके'
सं 1525 श्री धर्मचन्द्रसूरि पट्टे मलयचंद्रसूरि 'वृहदगच्छे बोकड़िया वंटके'
सं 1529 श्री मलयचंद्रसूरि 'गच्छे बोकड़िया'
सं 1529 श्री मलयचंद्रसूरि 'बोकड़िया'
सं 1530 श्री मलयचंद्रसूरि 'वृहदगच्छे बोकड़िया वंटके'
सं 1549 श्री मलयचंद्रसूरि पट्टे मणीचंद्रसूरि
सं 1553 श्री भट्टा. मुनिचन्द्रसूरि 'वृहदगच्छे बोकड़िया वंटके'
सं 1559 श्री मलयचंद्रसूरि पट्टे मणीचंद्रसूरि 'वृहदगच्छे बोकड़िया वंटके'
सं 1562 श्री मलयचंद्रसूरि पट्टे मणीचंद्रसूरि  'बोकड़िया गच्छे'
सं 1587 श्री मलयहंससूरि 'वृहद बोकड़िया गच्छे'
सं 1617 श्री देवानंदसूरि 'बोकड़िया गच्छे'
इस प्रकार वृहदगच्छ (वडगच्छ) की शाखा रामसेनियागच्छ और रामसेनिया गच्छ से बोकड़ियागच्छ शाखा निकली। रामसीन से तो हमारा संबंध है ही साथ ही दो शिलालेख में तो "वृहदगच्छे बोकड़िया वंट" स्पष्ट उल्लेख है। अर्थात बोकड़िया गच्छ, वडगच्छ की शाखा है। यह स्पष्ट संकेत है कि हमारा मूल गच्छ, वड़गच्छ (वृहदगच्छ) है।
'प्राचीन लेख संग्रह' ले. विद्याविजय जी (प्र. सं. १९२९) लेखांक : ४०२
'जैन प्रतिमा लेख संग्रह' ले. बुद्धिसागर, लेखांक : ४३२

'प्रतिष्ठा लेख संग्रह' ले. उपाध्याय विनयसागर लेखांक : ३१५
नागोर बड़ा मन्दिर

'प्रतिष्ठा लेख संग्रह' ले. उपाध्याय विनयसागर लेखांक : ७१४
जयपुर पंचायती मन्दिर

'प्रतिष्ठा लेख संग्रह' ले. उपाध्याय विनयसागर लेखांक : ७१६
जयपुर पंचायती मन्दिर

'प्रतिष्ठा लेख संग्रह' ले. उपाध्याय विनयसागर लेखांक : ७२५
पनवाड़ महावीर मन्दिर

'जैन लेख संग्रह' ले. पूर्णचन्द्र नाहर, लेखांक : १९१५

जैन लेख संग्रह' ले. पूर्णचन्द्र नाहर, लेखांक : १२४६
प्राचीन चौरासी गच्छ की सूची में 13 वे स्थान पर "बोकड़िया गच्छ"



एक अन्य प्राचीन 84गच्छ सूची में 20 वे स्थान पर बोकड़िया गच्छ।

जैन लेख संग्रह' ले. पूर्णचन्द्र नाहर, लेखांक : ११६९
प्रतिष्ठा लेख संग्रह' ले. उपाध्याय विनयसागर लेखांक : १८२
नागौर बड़ा मन्दिर



मध्यकालीन राजस्थान में जैन धर्म नामक शोध प्रबंध में उल्लेख

जैन लेख संग्रह' ले. पूर्णचन्द्र नाहर, लेखांक : १४१४

'प्रतिष्ठा लेख संग्रह' ले. उपाध्याय विनयसागर लेखांक : ९१६
जयपुर पंचायती मन्दिर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें