शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

बोकड़िया गौत्र के कुलरक्षक देव, कृष्ण क्षेत्रपाल जी (काले भेरूजी) निर्णय

बोकड़िया गोत्र के सभी परिवारों में "खेतला जी" को मानने की परम्परा विद्यमान है। न केवल मानने की परम्परा है बल्कि गृहदेवस्थान की भी परम्परा है।
बोकड़िया गोत्र में कुलदेव के रूप में खेतला जी को विशेष आराध्य माना जाता है। यहां तक की माताजी से भी अधिक खेतला जी को मानने, आराधना करने का दृष्टिगोचर होता है।

पुत्र जन्म और विवाह में विशेष आराधना व कर किए जाते है।

खेतलाजी, क्षेत्रपाल जी, भेरुजी आदि नामों से पुकारे जाते है।

प्रश्न होता है कि खेतला जी या भेरू जी, लेकिन कौनसे काले या गोरे?
तो वंशावली में स्पष्ट उल्लेख है कि
"खेतलो, 'मंडोवर रो क्षेत्रपाल ' पूजणो।"………"हेमाजी ने कालो खेतलो मंडोवर तुष्टमान हुआ।"
अर्थात् हमारे कुलदेव, हमारे क्षेत्रपाल, काले भेरुजी,  काला खेतला जी है जिनका मुख्य स्थान मण्डोर है। (चित्र : मण्डोर उद्यान स्थित काले भेरुजी)
कहते है कि बकरे छुड़वाने में देवधरजी को काले खेतलाजी की भारी कृपा रही। इसकारण भी क्षेत्रपाल की महिमा कुल में विशेष है।

पूर्ववंश "चौहान" भी "हर्षनाथ भैरव" का उपासक रहा है, कृष्ण क्षेत्रपाल को पूजने की परम्परा पूर्व जाति से रही है। वस्तुतः चौहान शिवपूजक अर्थात् शैव है। भैरव शिव का ही प्रतिरूप अथ्वा अंश है। प्रत्येक कुल के कुलरक्षक देव मानने की परम्परा रही है। बोकड़िया गोत्र के कुलरक्षक देव काले क्षेत्रपाल जी, भेरुजी है जो परम्परा, वंशावली, पूर्वजाति आदि के साक्ष्यों से सिद्ध है।



सांचौर के बोकडिया परिवारों में प्रत्येक घर में खेतला जी का देवस्थान स्थापित करने की परम्परा है।
मंड़ार में बोकड़िया बस्ती में सामुहिक एक देवस्थान पूजने की परम्परा है।
चंदेसरा, मेवाड़ में गांव में "बोकड़िया भैरव" नाम से पूजन की परम्परा है।


वंशावली के अनुसार सोनाणा के खेतला जी को भी मानने का उल्लेख है


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