गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

बोकड़िया गौत्र का प्रथम अधिवेशन


"अखिल भारतीय प्रथम बोकड़िया महाअधिवेशन"
वरकाणा अधिवेशन 2016
18 दिसंबर 2016 को कुलदेवी श्री आशापुरा माताजी के क्षेत्र में श्री वरकाणा पार्श्वनाथ तीर्थ, वरकाणा के धर्मस्थान में पूर्ण उमंग एवं उत्साह के साथ आयोजित हुआ। 21 सदस्यी आयोजन समिति के कर्मठ और क्रियाशील नेतृत्व में अखिल भारतीय प्रथम बोकड़िया महाअधिवेशन पूर्ण सफलता के साथ संपन्न हुआ। राष्ट्रीय संयोजक श्री हंसराज बोकड़िया (सांचौर) ने जयघोष के साथ अधिवेशन सभा के *प्रथम सत्र* का मंगलमय प्रारम्भ किया। श्री मनीष बोकाड़िया (बदनावर) ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। 11 नवकार के ध्यान से शुभारंभ अधिवेशन में सर्वप्रथम पधारे हुए सभी सगौत्रीय बंधुओं का भावभीना स्वागत किया गया। श्री सुशीलकुमार बोकड़िया (अमरावती) ने गत *बरोडा प्रतिनिधि सभा* की कारवाही (मिनिट्स) का पठन किया। राष्ट्रीय संयोजक श्री हंसराज बोकड़िया ने सभा संचालन करते हुए गौत्रीय संगठन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। "संघ गुणायरं वंदे" गुणों का आगार संघ वंदन तुल्य होता है। इस सूत्र के साथ संगठन के उद्देश्यों को संक्षिप्त में प्रस्तुत किया। बोकड़िया गौत्र के बारे में जानकारी देते हुए संचालक महोदय ने बोकड़िया गोत्र के इतिहास संकलन, शोध, संशोधन एवं संपादन के कार्य को संक्षेप में प्रस्तुत किया। साथ ही बोकड़िया गोत्र के अब तक शोधित संकलित संपादित इतिहास को सभा के सम्मुख सारसंक्षेप में पढ़कर सुनाया। तद्पश्चात 'मिलन-परिचय' का प्रारम्भ किया गया। सभी बंधुओं ने सभा के मंच से अपना अपना परिचय प्रस्तुत किया। इसप्रकार सभी के परिचय का आदान प्रदान सम्पन्न हुआ। सभा के पश्च्यात श्री आशापुरा माताजी, नाडोल दर्शनार्थ जाने की योजना थी अतः सभी सभासदों को 11 बजे माताजी दर्शनार्थ जाने की सविनय सूचना दी गई। सभा को अगले सत्र के लिए दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। *नाडोल दर्शन* दोपहर 11.00 बजे श्री आशापुरा माताजी दर्शन महाभोग का कार्यक्रम था। पूर्व संध्या में ही समस्त बोकड़िया परिवार की तरफ से माताजी की पडाई स्वरूप, पूरा वेश एवं श्रृंगार अर्पण किया गया था ताकि दर्शन के समय माताजी उसी वेश में दर्शन दे। सभा के पश्चात वाहनों द्वारा सभी बोकड़िया बंधु नाडोल माताजी पहुँचे। वहां समस्त बोकड़िया परिवार द्वारा सामूहिक ५.२५ किलो लापसी का भोग लगाया गया। सभी बोकड़िया भक्तों ने दर्शन सेवा पूजा भक्ति की एवं कुल कुटुम्ब के लिए मंगल प्रार्थना की। दर्शन भक्ति के आनंद से ओतप्रोत बंधुओं ने माताजी मंदिर में यात्रा-अर्पण किया एवं पुनः वरकाणा के लिए लौट आए। *द्वितीय सत्र......* भोजन पश्चात.....दोपहर 2.00 बजे से...... महाअधिवेशन का दूसरा और मुख्य सत्र दोपहर 2.15 मिनिट पर प्रारम्भ करने की घोषणा की गई!! सर्वप्रथम आयोजन समिति के सभी सम्माननीय सदस्यों को को मंच पर आसन के लिए आमंत्रित किया गया। पुनः जयघोष एवं 11 नवकार के ध्यान से द्वितीय सत्र का शुभारंभ किया। संयोजक श्री हंसराज बोकड़िया ने इस संगठन की भूमिका की एवं अखिलभारतीय स्तर पर बोकाड़िया परिवारों के संयोजन के दूरगामी उद्देश्यों को प्रकट करते हुए कहा कि हम करीबन 1300 वर्षों के बिछड़े मिल रहे है। ऐसे संघ का प्रधान लक्ष्य यह है कि कही कोई छोटे से गाँव में इक्का दुक्का परिवार रहता हो वह भी गर्व से कह सके कि बड़ा विशाल एवं विराट मेरा परिवार है। विशाल संगठन में प्रत्येक परिवार स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। संगठन के माध्यम से हम एक दूसरे के सहायक सहयोगी बन सकते है। भूमिका के पश्चयात संचालक महोदय हंसराज जी ने आगामी सम्मेलन हेतू विचारणा के लिए चर्चा सूत्र की शरुआत की। इस चर्चा में अनेक मुद्दे विचारणीय थे.. सम्मेलनों की अवधि क्या हो, कहाँ बुलाया जाय, कैसे...आदि, केवल पुरुष वर्ग, सजोड़े अथवा सपरिवार। कब बुलाया जाय व अर्थप्रबंध कैसे हो। इस चर्चा में सभी बंधुओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। कई सुन्दर सुझाव एवं महत्वपूर्ण प्रस्ताव आए। सार्थक चर्चा के अंत में सभी की एक राय बनी जिसे संचालक हंसराज जी ने सभा समक्ष स्पष्ट किया। 1. सम्मेलन प्रतिवर्ष आयोजित हो!! 2. अगला सम्मलेन सजोड़े (couple)हो!! 3. अगले सम्मेलन में तीर्थ एवं आमोद प्रमोद दोनों पर विचार हो!! 4. सम्मेलन 2 दिवस एक रात्री का रहे!! 5. व्यय प्रस्तावों एवं अर्थ प्रबंध पर समिति में विचारणा हो। 6. स्थान समय व योजना पर समिति निर्णय करेगी!! एजेंडा में अगला बिंदु आयोजन समिति का पुनर्गठन था। इस बिंदु पर भी सार्थक चर्चा हुई। सदन से समिति के आमूल चूल परिवर्तन का आदेश नहीं हुआ। सभी की एक राय थी कि वर्त्तमान 21 सदस्यों की समिति कार्यरत रहे। जब आग्रह किया गया कि कई नए क्षेत्र ग्राम नगर को समिति में प्रतिनिधित्व होना चाहिए। ऐसे में सदन ने समिति विस्तार की अनुशंसा की एवं 10 नए सदस्यों को लेकर 31 की विस्तारित कमिटी का निर्णय हुआ। सभा से ही 10 नामों को आमंत्रित कर 31 की कमिटी का निर्णय हुआ। अगला एजेंडा डायरेक्ट्री संबंधी विमर्श था। बिना संपर्कों के सभी तक पहुँचना आसान नहीं, डायरेक्ट्री की त्वरित आवश्यकता सभी ने महसूस की।उस पर उचित चर्चा के बाद फॉर्म कलेक्शन में तेजी लाने का निर्णय हुआ। फॉर्म संकलन की अंतिम तिथि 30 जून निर्धारित की गई। इस कार्य में सभी से सहयोग की अपील की गई। अगला मुद्दा क्षेत्र प्रतिनिधि दल का विस्तार था। किंतु सभा में नए क्षेत्र वासी की अनुपस्थिति के परिणाम स्वरूप कोई नए नाम नहीं आए। समिति संपर्क अनुसार नए प्रतिनिधियों को जोड़ेगी। अगला बिंदु आय व्यय के ब्यौरे का प्रस्तुतीकरण था। श्री दिनेश जी बोकड़िया (मंडार) ने आय व्यय का ब्यौरा पेश किया। अगला एजेंडा बिंदु संगठन की विजनरी था। संयोजक श्री हंसराज जी ने संक्षेप में भविष्य में संस्था के लिए करने योग्य योजनाओं का उल्लेख किया। आठवा बिंदु था अन्य विषय संचालक की अनुमति से..... अन्य विषय में श्री सुशीलजी अमरावती की संकल्पना से जारी अधिवेशन की स्मृति स्वरूप जारी पोस्टल कवर का विमोचन किया गया। विमोचन पधारे हुए बंधुओं में बुजर्ग सदस्यों के कर कमलों से सम्पन्न हुआ एवं साथ ही शब्द सुमन द्वारा बुजर्गों का सम्मान किया गया। एक अन्य लिखित प्रस्ताव उदयपुर की महिला मंडल से प्राप्त हुआ जिसमें बोकड़िया समाज का अखिलभारतीय स्तर पर महिला मंडल रचने का प्रस्ताव आया। एक प्रस्ताव श्री पुखराज जी बोकड़िया ने प्रस्तुत किया था हमें सगौत्रीय बंधू सहायता की योजना बनानी चाहिए इस प्रस्ताव को अन्य विषय में सम्मलित किया गया। एक अन्य प्रस्ताव बलदोटा गोत्र तक संगठन को विस्तार देने का आया। इन सभी प्रस्तावों पर विचार करने का समिति ने पूर्ण विश्वास दिलाया। संयोजक श्री हंसराज जी ने सभी बंधुओं, सहायकों सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। पूरी परियोजना को उसके लक्ष्य तक पहूँचाने में सहयोगी समिति सदस्य एवं साथ सहकार के लिए सभी के प्रति व्यक्तिगत आभार प्रस्तुत किया।